।।जय बंदी छोड़ की।।
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।। जिस घर में यह होज्या पाठ जी, उन भक्तों के होज्या ठाठ जी।।
🙏 ।।शब्द (बधाई)।। ✅
म्हारै हुआ पाठ प्रकाश बधाई मैं बाटुंगी।
म्हारै आये साहिब कबीर बधाई मैं बाटुंगी।
म्हारै आए गरीब दास बधाई मैं बाटुंगी।टेक।
अमर लोक से चलकर आए, भव बन्धन से जीव छुड़ाए।
दे मन्त्रा(नाम) सत्यलोक पठाए, ये देते निश्चल बास।1।
पाप पुण्य को हरदम तोलूं, घर-घर में मैं कहती डोलूं।
दुश्मन मीत सभी से बोलूं,तुम करियोआवण की ख्यास।2।
म्हारै भक्त महात्मा आवैंगे, वो शब्द साहिब के गावेंगे।
हमारे भ्रम भूत मिट जावेंगे, फिर होवै नाम विश्वास ।3।
नगर निवासी सब ही आना, आपस के मत भेद भूलाना।
कोए दिन में सबको चलेजाना, या झूठीजगकी आस।4।
दुःख मेटैं और सुख का दाता, पूर्ण ब्रह्म है आप विधाता।
जब चाहे चोला धर आता, हुआ सुल्तानी कै खवास।5।
काशी में केशव बण आया, समन के घर भोग लगाया।
सेऊ धड़ पर शिश चढ़ाया, यह काटैं कर्म की फांस।6।
जिस घरका यह होता पाठजी, उन भक्तोंके होते ठाठजी।
भक्ति बिहुने बारहबाट जी,जिनको लगी ना भजन की प्यास।7।
गुरु राम देवानन्द गुण गाता है, दासरामपाल को समझाता है।
भजन बिना नहीं सुख पाता है, चाहे पृथ्वी पति हो खास।8।
।।सत साहिब।।
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