कथा को पुरा पढे
गरीबदास ❤
मात पिता मिल जाएगे लख चौरासी माह ।
सतगुरु सेवा बंदगी भई फिर मिलन की नाह ॥
मात पिता आदरणीय है माता पिता की खुब सेवा करो उनकी सेवा परमातमा का आदेश मानकर करे

खैर हम भगत श्रवण की रीस तो नही कर सकते पर कोशिश करे

 


 

 

 

 

 

 


 जब श्रवण कुमार अपने मात पिता का आदेश मानकर उनको अठसठ तीरथ पर ले जा रहा था तब उन पर मौत की बला आई तो उसके मात पिता भी नही टाल सके राजा दशरथ अपनी परजा के कलयाण के लिए हिंसक राश्रस को मारना चाहा तो तीर गलती से श्रवण कुमार को लग गया तब उनके मात पिता ने अपने पुत्र के वियोग से दशरथ को श्राप दिया कि

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 जैसे हम पुत्र के वियोग मे तडपे है आप भी ऐसे ही तडप कर मरोगे इसलिए राम चनदर जी को 14 साल का वनवास हुआ आखिर तीरथ करने से मिला कया पुत्र के मरने का दुख और श्राप दिया वो अलग
इसलिए कबीर जी ने अपने ज्ञान से सही नवाजा है कि
अठसठ तीरथ भरम भरम आवे ।
सो फल गुरु के चरणा पावै ॥
इंसान थोडे थोडे पुन: जोडने के लिए तीरथो पर जाता है पर सबको देने वाला आज हरियाणे मे आया हुआ है पहचान सकते हो तो पहचान लो
गरीबदास ❤
उतर दक्षिण पुरब पशचिम फिरता दाने दाने नू ।
समरथ कला सतगुरु साहिब की हरि आए हरियाणे नू ॥

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