मीराबाई की कथा ❤



मेवाड की रानी मीराबाई सुबह सुबह हर रोज कृषण के मंदिर मे जाती थी जब वह वापिस आई तो रासते मे देखा कि दो संत ( परमातमा कबीर और रविदास जी ) satsang कर रहे है तब मीराबाई भी satsang सुनने के लिए बैठ गई उस satsang मे कबीर जी कह रहे थे कि Brahma vishnu shiv की जो भकति करता है उसकी कभी मुकति नही होती और इनसे उपर भी एक सतपुरुख परमातमा है मीराबाई कृषण की पुजारण थी तब मीराबाई को बिलकुल भी अचछा नही लगा satsang खतम होने के बाद मीराबाई ने कबीर जी से कहा कि हे महातमा जी आप कृषण से उपर किस परमातमा की बात कर रहे हो मै तो कृषण से उपर किसी को नही मानती और मुझे तो रोज कृषण जी साक्षात दरशन भी देते है तब कबीर जी ने कहा कि बेटी देवता लोग कभी झुठ नही बोलते आप खुद कृषण जी से पुछ लेना उसके बाद मीराबाई निराश होकर वापिस आ जाती है तब रात को उसी दिन कृषण जी मीराबाई को दरशन देते है तब मीराबाई कहती है कि भगवन आपसे उपर भी कोइ परमातमा है तब कृषण जी बोले हां बेटी हमसे उपर भी एक परमातमा है जिसने यह संसार रचा है पर हम उसको नही जानते इतना सुनकर मीराबाई हैरान रह जाती है और तीन दिन बाद जब मीराबाई मंदिर जा रही थी तब रासते मे फिर से उनको वही संत satsang करते हुए मिलते है तब मीराबाई कबीर जी से कहती है कि हे महातमा जी आप मुझे उस परमातमा से मिला सकते है तब कबीर जी बोले कि हां बेटी पर इस भकति मारग पर गुरु बनाना बहुत जरुरी है उनसे नाम दीक्षा लेकर ही आप परमातमा से मिल सकते है तब कबीर जी ने मीराबाई की परीक्षा लेनी की सोची ओर कहा कि बेटी कल आना और अगले दिन जब मीराबाई आई तो कहा कि बेटी आप संत रविदास जी को गुरु बनाओ और उनसे नाम दीक्षा लो तब मीराबाई संत रविदास जी के पास आई और बोली की हे महातमा जी मुझे नाम दीक्षा चाहिए तब रविदास जी बोले कि बेटी आप ठाकुर परिवार से हो कल को लोग तुमहे ताने देगे कि मीराबाई ने एक नीच जात को गुरु बनाया है तब मीराबाई बोली कि आजसे आप मेरे पिता समान है मुझे फरक नही पडता कि लोग कया कहेगे आप मुझे बस नामदीक्षा दे दो तब रविदास जी से नाम दीक्षा लेकर मीराबाई जी इस लख 84 के दलदल से पार हुई इसलिए संतो ने कहा है कि भकति करे कोइ शुरमा जो जात वरण कुल खोए ❤
विशव विजेता संत रामपाल जी 🙏
साधना चैनल शाम 7:30 से 8:30

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