अंहकार अंधकार है ❤



एक बार नानक साहिब जी अपने दोनो शिषय बाला और मरदाना के साथ श्रीनगर कशमीर की यात्रा पर निकले वहां के लोग गुरु नानक देव जी की सरलता से परिचित थे एक दिन गुरु नानक जी वहां लोगो से मिलने और सतसंग करने आए तो वहां हजारो लोगो की भीड उमड गई
      श्रीनगर मे उस समय एक पंडित हुआ करता था जिसका नाम Brahmdas था दैवी उपासना और अराधना से उसके पास कुछ सिधिया थी अपनी शकति दिखाने के लिए Brahmdass एक उडती चटाई पर सवार होकर गुरु नानक जी के पास पहुंचे वहां उसे लोगो की भीड तो दिख रही थी पर नानक साहिब जी दिख नही रहे थे तब उसने पुछा कि नानक जी कहां है लोगो ने कहा कि तुमहारे सामने ही तो है उसने सोचा कि लोग मेरी खिली उडा रहे है कयोकि उसे नानक जी दिख नही रहे थे तब Brahmdass जी वहां से जाने लगे तो वह चटाई से गिर पडे इस घटना से उसकी वहां बहुत किरकिरी हुई तब उसको वहां से चटाई कंधे पर रखकर आना पडा तब उसने अपने नौकर से पुछा कि मुझे गुरु नानक देव जी कयो नही दिखाई दे रहे थे तब उसका नौकर बोला शायद आपकी आंखो पर अहम की पटी बंधी थी
           अगले दिन Brahmdass जी बहुत ही शांति और सरल भाव से वहां चल कर गए तब उसने देखा कि तेज मुखी गुरु नानक जी वहीं पर बैठे है और सतसंग कर रहे है तब उसने हाथ जोडकर पुछा कि महातमा जी कल मुझे आप कयों नही दिख रहे थे तब नानक साहिब जी बोले बेटा अहंकार के अंधकार मे मै आपको कैसे दिखता
नानक साहिब जी बोले कि अहंकार से बडा कोई अंधकार है कया ? तुम अपनी सिधिया दिखाने के लिए यहां उडकर आए और अपने आपको महान सोचने लगे थे तुम अपने चारो तरफ देखो आकाश मे कीट पतंगे और पक्षी भी तो उड रहे है कया तुम इनके जैसा बनना चाहते हो तब Brahmdass को अपनी भूल का अहसास हुआ और नानक साहिब से आंखो मे आंसु भरकर और हाथ जोडकर माफी मांगी
Moral अहंकार से बडा कोई अंधकार नही
साधना चैनल शाम 7:30 से 8:30 बजे
विशव विजेता संत रामपाल जी ❤

 

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